ज्ञान की चार बातें | Motivational Story in Hindi

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(ज्ञान की चार बातें)

Motivational Story in Hindi

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एक समय की बात है, एक राज्य में एक राजा राज करता था। उसके महल में एक खूबसूरत बगीचा था। बगीचे की देखरेख की जिम्मेदारी एक माली के कंधों पर थी। मालिक पूरा दिन बगीचे में रहता और पेड़ पौधों की अच्छे से देखभाल किया करता। राजा मालिक के कामो से बहुत खुश था। बगीचे में एक अंगूर की पेड़ लगी हुई थी जिसमें ढेर सारे अंगूर लगे हुए थे।

एक दिन एक चिड़िया बगीचे में आई। उसने अंगूर के पेड़ पर लगे अंगूर चखे। अंगूर स्वाद में मीठे थे।  उस दिन के बाद से वह चिड़िया रोज बाग़ में आने लगी। चिड़िया अंगूर के पेड़ पर बैठती और चुन चुनकर मीठे अंगूर खा लेती। खट्टे और अधपके अंगूर वह निचे गिरा देती।

चिड़िया की इस हरकत पर माली को बड़ा गुस्सा आता। वह उसे भगाने का बहुत प्रयास करता लेकिन सफल नहीं हुआ। बहुत प्रयासों के बाद भी जब माली चिड़िया को भगाने में सफल नहीं हो पाया तो वह राजा के पास चला गया। उसने राजा को चिड़िया की पूरी कारस्तानि बता दी और बोला , “महाराज! चिड़ियां ने मुझे तंग करके रखा है। उसे काबू में करना मेरे बस के बाहर है। अब आप ही कुछ करे।

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राजा ने  खुद ही चिड़िया से लिपटने का फैसला किया। अगले दिन वह बाग़ में गया और अंगूर के घने बेल की आड़ में छुपकर बैठ गया। रोज की तरह चिड़ियां आई और अंगूर की पेड़ पर बैठकर अंगूर खाने लगी। अवसर पाकर राजा ने चिड़ियां को पकड़ लिया। चिड़ियां ने राजा की पकड़ से आज़ाद होने का बहुत प्रयास किया किन्तु सब व्यर्थ रहा।

अंत में वह राजा से याचना करने लगी कि वह उसे छोड़ दे। राजा इसके लिए तैयार नहीं हुआ। तब चिड़ियां बोली, “राजन, यदि तुम मुझे छोड़ दोगे तो मैं तुम्हें ज्ञान की चार बातें बताऊंगा। राजा चिड़ियां पर क्रोधित हुआ। किन्तु इसके बाद भी उसने यह बात मान ली और बोला, “ठीक है, पहले तुम वो ज्ञान की चार बातें बताओ। उन्हें सुनने के बाद ही मैं तय करूँगा कि तुम्हे छोड़ना ठीक रहेगा या नहीं।”

चिड़िया बोली, “ठीक है राजन, तो सुनो। पहली बात कभी किसी हाथ आए शत्रु को जाने मत दो।”

राजा ने कहा, “ठीक है दूसरी बात बताओ।”

चिड़ियां बोली, “दूसरी बात यह है कि कभी किसी असंभव बात पर यकीन मत करना।”

राजा ने कहा, “बहुत बढ़िया, अब तीसरी बात बताओ।”

चिड़ियां ने कहा, “तीसरी बात यह है कि बीती बात पर कभी पछतावा मत करो।

राजा ने कहा, “ठीक है बहुत अच्छा। अब चौथी बात बताओ।”

चिड़ियां ने कहा, “राजन चौथी बात बहुत गहरी है। मैं तुम्हें वह बात बताना तो चाहती हूँ किन्तु तुमने मुझे इतने जोर से जकड़ रखा है कि मेरा दम घुट रहा है। तुम अपनी पकड़ थोड़ी ढीली करो तो मैं तुम्हें चौथी बात बता पाऊँगी।”

राजा ने चिड़ियां की बात मान ली और अपनी पकड़ ढीली कर दी। पकड़ ढीली होने पर चिड़ियां राजा के हाथ से फिसल गई और उड़कर पेड़ के ऊँचे डाल पर जाकर बैठ गई। राजा उसे ठगा सा देखता रह गया।

पेड़ की डाल पर बैठा चिड़ियां बोली, “राजन चौथी बात यह है कि ज्ञान की बात सुनने पर से कुछ नहीं होता।  उस पर अमल भी करना पड़ता है। अभी कुछ देर पहले ही मैंने तुम्हें ज्ञान की तीन बातें बताई जिन्हें सुनकर भी आपने उन्हें अनसुना कर दिया। पहली बात मैंने आपसे यह कही थी कि हाथ में आए शत्रु को कभी छोड़ना मत लेकिन आपने अपने हाथ में आए शत्रु अर्थात मुझे छोड़ दिया। दूसरी बात यह थी कि असंभव बात पर यकीन मत करें लेकिन जब मैंने कहा कि चौथी बात बड़ी गहरी है तो आप मेरी बातों में आ गए। तीसरी बात मैंने आपको बताई थी कि बीती बात पर पछतावा ना करें और देखिएं मेरी आपके चंगुल से छूट जाने पर आप पछतावा कर रहे हैं।” इतना कहकर चिड़ियां वहां से उड़ गई और राजा देखता रह गया।

इस कहानी से सिखने को यह मिलता है कि मात्र ज्ञान अर्जित करने से कोई ज्ञानी नहीं बन जाता। ज्ञानी वह होता है जो अर्जित ज्ञान पर अमल करता है। जीवन में जो बीत गया उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं किन्तु वर्तमान हमारे हाथ में है। आज का वर्तमान ही कल के भविष्य का निर्माण करेगा। इसलिए वर्तमान में रहकर कर्म करे और अपना भविष्य बनाएं।

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Sonali Bouri

मेरा नाम सोनाली बाउरी है और मैं इस साइट की Author हूँ। मैं इस ब्लॉग Kahani Ki Dunia पर Hindi Stories, Motivational Stories, Full Form, Meanning in hindi, और Courses से सम्बंधित आर्टिकल लिखती हूँ। हम आशा करते है कि आपको हमारी यह साइट बेहद पसंद आएगी।



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